कठिन प्रयासों से-सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता व्याख्या सहित Kathin Prayasho se - Subhadra Kumari Chauhan|Subhadra kumari chauhan poem summary in hindi|
Kathin Prayasho se - Subhadra Kumari Chauhan|Subhadra kumari chauhan poem summary in hindi|कठिन प्रयासों से-सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता व्याख्या सहित
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सुभद्राकुमारी चौहान >
>>कविता<<
पास पहुँचकर जो देखा तो, आहा! द्वार खुला पाया।कठिन प्रयत्नों से सामग्री, मैं बटोरकर लाई थी।
बड़ी उमंगों से मन्दिर में, पूजा करने आई थी॥
जिसकी लगन लगी थी उसके दर्शन का अवसर आया॥
मन में था विश्वास कि उनके अब तो दर्शन पाऊँगी।हर्ष और उत्साह बढ़ा, कुछ लज्जा, कुछ संकोच हुआ।
उत्सुकता, व्याकुलता कुछ कुछ, कुछ संभ्रम, कुछ सोच हुआ॥
प्रियतम के चरणों पर अपना मैं सर्वस्व चढ़ाऊँगी॥
पूरी हुई साधना मेरी, मुझको परमानन्द मिला।कह दूँगी अन्तरतम की, में उनसे नहीं छिपाऊँगी।
मानिनि हूँ, पर मान तजूँगी, चरणों पर बलि जाऊँगी॥
करके कृपा, पुजारी! मुझको ज़रा वहाँ तक जाने दे।निठुर पुजारी! यह क्या? मुझ पर तुझे तनक न दया आई?
किया द्वार को बन्द हाय! में प्रियतम को न देख पाई?
मुझको भी थोड़ी सी पूजा प्रियतम तक पहुँचाने दे॥
बहुत बड़ी आशा से आई हूँ, मत तू कर मुझे निराश।छूने दे उनके चरणों को, जीवन सफल बनाने दे।
खोल-खोल दे द्वार पुजारी! मन की व्यथा मिटाने दे॥
एक बार, बस एक बार तू जाने दे प्रियतम के पास॥
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